Amazing motivation thoughts (धर्म-कर्म ) control yourself
धर्म का संचय करो! संचय करो नीत धर्म का,,
संयमित मीत गयी हो,,तो ध्यान में जीवन लगा!
धर्म का संचय करो,, संचय करो नीत धर्म का,,
इन्द्रियां ये पांच लगती,, चोर सी हमको सदा
इन्द्रियां ये पांच लगती,, चोर सी हमको सदा!!
धर्म की चोरी करे ये,, दृष्टी इनकी हो सदा,,
नित्य होता नष्ट सबकुछ,, धर्म ही रहता यहां!!
धर्म का संचय करो,, संचय करो नीत धर्म का!!!
इन्द्रियों के अहम को अज्ञानता को,, तुम नष्ट करदो,,
इन्द्रियों के अहम को अज्ञानता को,, तुम नष्ट करदो!!
देह का शुद्धिकरण कर, सर्वग मे आसन रहो,,
नित्य होता नष्ट सबकुछ,, धर्म ही रहता यहां!
धर्म का संचय करो, संचय करो नीत धर्म का!!!
मुण्ड मुण्डवाता कोई ,और मुंह को मुण्डवाता कोई,,
मुण्ड मुण्डवाता कोई ,और मुंह को मुण्डवाता कोई,!!
मन बुराई का है घर,, जिसको ना चमकता कोई,,
लालसा व्यर्थ के अभिमान की हो स्वच्छता,,
लालसा व्यर्थ के अभिमान की हो स्वच्छता,,
मुण्ड, मुंह को छोड़कर,, दीपक जलाओ ज्ञान का,,
नित्य नष्ट होता सबकुछ,,धर्म हीं बचता सदा!!!
धर्म हीं बचता सदा!धर्म हीं बचता सदा!🙏🙏
,🙏🙏 धन्यवाद!!
संयमित मीत गयी हो,,तो ध्यान में जीवन लगा!
धर्म का संचय करो,, संचय करो नीत धर्म का,,
इन्द्रियां ये पांच लगती,, चोर सी हमको सदा
इन्द्रियां ये पांच लगती,, चोर सी हमको सदा!!
धर्म की चोरी करे ये,, दृष्टी इनकी हो सदा,,
नित्य होता नष्ट सबकुछ,, धर्म ही रहता यहां!!
धर्म का संचय करो,, संचय करो नीत धर्म का!!!
इन्द्रियों के अहम को अज्ञानता को,, तुम नष्ट करदो,,
इन्द्रियों के अहम को अज्ञानता को,, तुम नष्ट करदो!!
देह का शुद्धिकरण कर, सर्वग मे आसन रहो,,
नित्य होता नष्ट सबकुछ,, धर्म ही रहता यहां!
धर्म का संचय करो, संचय करो नीत धर्म का!!!
मुण्ड मुण्डवाता कोई ,और मुंह को मुण्डवाता कोई,,
मुण्ड मुण्डवाता कोई ,और मुंह को मुण्डवाता कोई,!!
मन बुराई का है घर,, जिसको ना चमकता कोई,,
लालसा व्यर्थ के अभिमान की हो स्वच्छता,,
लालसा व्यर्थ के अभिमान की हो स्वच्छता,,
मुण्ड, मुंह को छोड़कर,, दीपक जलाओ ज्ञान का,,
नित्य नष्ट होता सबकुछ,,धर्म हीं बचता सदा!!!
धर्म हीं बचता सदा!धर्म हीं बचता सदा!🙏🙏
,🙏🙏 धन्यवाद!!
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